बुद्धिस्ट मान्यताओं के अनुसार mahasammat का मतलब महा सम्राट जिसे बुद्धिस्ट इतिहास के अनुसार दुनिया का प्रथम राजा या सम्राट कहा गया था बुद्धिस्ट धम्म के थेरवाद शाखानुसार शाक्य एवं कोली वंश जिनसे सूर्यवंश निकला उन्ही के वंशज हैं,भारत देश जिसे उस समय जम्बूदीप कहा जाता था उसमे सबसे प्रथम मूलनिवासी नाग जनजाति के लोग थे जिन्होंने कभी सिंधु घाटी की सभ्यता का निर्माण किया था जिसमे कई सुविधाएं मौजूद थी जैसे की पानी के निकास के लिए नालियां,पानी को ज्यादा देर तक बचाए रखने के लिए तालाब,रहने के लिए बड़े और सुन्दर घरो का निर्माण आदि, यह नागवंश के लोग उन्नत थे,दुनिया में पहले कोई कार्य प्रणाली नहीं थी जैसे जैसे नाग जनजाति की जनसँख्या बढ़ी वैसे ही उन नागवंशियों ने कार्यप्रणाली का निर्माण किया जिससे उन्होंने दुनिया में पहली बार दुनिया का प्रथम राजा सर्वसम्मति से चुना जिससे सभी की महा सम्मति भी कहते थे जिस कारणवश उन्हें mahasammat का नाम प्राप्त हुआ इनका कार्य बहुत ही ईमानदारीपूर्ण था जैसे सूर्य की रौशनी ठीक उसी तरह उनका न्याय करने का तरीका था जिसके कारण उनके आगे की पीढ़ी को सूर्यवंश नाम से भी जाना गया/
संसार में इंसान के शुरूआती दौर मे किसी राजा महाराजा का उल्लेख नहीं मिलता है। धार्मिक जीवन को जीने वाले लोग स्वयं अपने समाज को संभालते थे। शुरुआती दौर मे समाज मे प्राण घात, चोरी, बेईमानी, झूट बोलना, कटु शब्द बोलना, नशा करना आदि कार्यो से लोग दूर रहते थे। जातिकुल, ऊंच नीच, भेद भाव से दूर रहकर धार्मिक जीवन व्यतीत करते थे।
इसी प्रकार से ज्यादा दिन बीतते गए धीरे धीरे लोगों ने इन गलत चीजों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
इसी कारण समाज की सुरक्षा के लिए एक मुखिया की आवश्यकता महसूस होने लगी। सभी लोगों ने मिलकर बहुत चर्चा के बाद एक योग्य सर्वगुन सम्पन शूरवीर व्यक्ति को अपने मुखिया के रूप मे सर्वसम्मति से मंनोनित किया।सबकी सहमति से नियुक्त होने के कारण मुखिया को mahasammat के नाम से पुकारा जाने लगा, दान, प्रियवचन, अर्थचर्या स्मानात्मक जैसे चार संग्रेह वस्तु अपना कर आम जनता की सुरक्षा, उन्नति सुनिश्चित करने के कारण राजा के नाम से जाने जाते थे।
महाराजा mahasammat के देहांत के बाद उनके पुत्र रोज़ राजकुमार सिंहासन पर बिराजमान हुए। इसी परम्परा के अनुसार वररोज, कल्याणक-1, कल्याणक- 2,उपोस्व, महामांधातु, चरक, उपचरक, चेतिय, मुचल, महामुचल, मुचलींद, सागर, सागर देव, भरत, अंगिरस, रुचि, सुरुचि, प्रताप, महाप्रताप, प्रणाद-1, प्रणाद-2, सुदर्शन-1, सुदर्शन- 2,नीरु-1, नीरु-2, अर्चिमान आदि ने जंबूदीप पर शासन किया इन्ही राजाओं मे से कोई कुशवती को अपना राजधानी बनाया, कोई वराणसी तो कोई मिथिला को अपनी राजधानी बनाया। कोई राजा अयोध्या को अपनी राजधानी बना के राज किया। यानि महाजनपद और गणराज्य के समय जो कोली शाक्य मल्ल,मोरिया ,लिच्छवि, भग्गी, आदि वंश थे वे सभी सूर्यवंशी वंश थे जिनके आदि पुरुष महासम्मत थे जो नागवंश से प्रथम राजा चुने गए थे।
महासम्मत के वंश में बुद्धा ही नहीं बल्कि संत सम्राट शिरोमणि सतगुरु कबीर साहब, माता झलकारी बाई, राघोजी भांगरे, काहनोजी अँगरे जैसे कई महान शख्शियतों ने जनम लिए हे और नागवंशीय सूर्यवंश का नाम दुनिया भर में रोशन किया है/
Mahasammat
रोज, वररोज, कल्याणक-1, कल्याणक- 2,उपोस्व, महामांधातु, चरक, उपचरक, चेतिय, मुचल, महामुचल, मुचलींद, सागर, सागर देव, भरत, अंगिरस, रुचि, सुरुचि, प्रताप, महाप्रताप, प्रणाद-1, प्रणाद-2, सुदर्शन-1, सुदर्शन- 2,नेरु-1, नेरु-2, अर्चिमान, और 28 राजा कुशवती, राजगृह और मिथिला में हुए।सखादेव, कलारजनक,
ओकाक
पुत्रियाँ– पिया, सुप्पिया, आनंदा, विजिता, विजितसेना
पुत्र-ओक्कामुख, कराकण्ड, हस्थिनिक और सिनीपुर सिंहस्वर
जयसेन
पुत्र सिंहहनु (पत्नी- कांचना-कोली राजा अंजन की बहन)
पुत्री यशोधरा (कोली राजा अंजन की रानी)
घोटावन, शुल्कोदन, शाक्लोदन, अमितोदन, अमिता, प्रतिमा
महामाया और प्रजापति दोनों कोली राजा अंजन की बेटियां थी
शुद्धोदन महामाया
सिद्धार्थ
शुद्धोदन प्रजापति
पुत्र नंद पुत्री रूपानंदा
शुल्कोदन
पुत्र भद्दीय (राजा)
आनंद
अमितोदन
पुत्र महानाम शाक्य राजा
पुत्र अनिरुद्ध
रोहिणी
प्रतिमा सुप्रबुद्ध (कोली राजा अंजन का पुत्र)
देवदत
सिद्धार्थ यशोधरा ( कोली राजा सुप्रबुद्ध की बेटी
पुत्र राहुल.
Nagwansh
Suryavansh origin by Mahasammat
Shakya vansh origin by son of king okak from suryavansh
koli vansh origin by nagwanshi king ram of banaras
mall vansh
licchvi vansh
bhaggi vansh
maurya origin by koli samaj and shakya samaj
Kamal Kori
web dev/digital marketer